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अध्यक्ष, बीओजी

श्री ए. एस. किरण कुमार, अध्यक्ष, बोर्ड ऑफ गवर्नर्स, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान जोधपुर

श्री ए. एस. किरण कुमार, अध्यक्ष, बोर्ड ऑफ गवर्नर्स, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान जोधपुर

श्री ए. एस. किरण कुमार भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला प्रबंधन परिषद के अध्यक्ष तथा भारत सरकार के अंतरिक्ष आयोग के सदस्य हैं।

उन्होंने 2015 से 2018 तक अंतरिक्ष विभाग के सचिव एवं भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया।

श्री किरण कुमार का जन्म 22 अक्तूबर 1952 को हासन, कर्नाटक में हुआ। उन्होंने बेंगलुरु विश्वविद्यालय से भौतिकी (इलेक्ट्रॉनिक्स) में एम.एससी. उपाधि तथा भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरु से भौतिक अभियंत्रण में एम.टेक. उपाधि प्राप्त की।

उन्होंने अनुप्रयोग-उन्मुख भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के क्रियान्वयन का सफल नेतृत्व किया, जिसके परिणामस्वरूप पृथ्वी अवलोकन, संचार, नेविगेशन, मौसम विज्ञान और अंतरिक्ष विज्ञान जैसे कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में देश का तीव्र विकास संभव हुआ। साथ ही, स्वदेशी प्रक्षेपण यानों और संबंधित प्रौद्योगिकियों के विकास को भी प्रोत्साहित किया, जिससे अंतरिक्ष तक सुनिश्चित पहुँच प्राप्त हो सकी। उन्होंने 1979 में भास्कर उपग्रह से प्रारंभ होकर विभिन्न अंतरिक्ष यानों पर प्रक्षेपित 50 से अधिक वैद्युत-प्रकाशीय इमेजिंग सेंसरों के डिज़ाइन और विकास का नेतृत्व किया। चंद्रयान-1 तथा मंगलयान मिशन की सफलता में भी उनकी भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही।

वर्ष 2012 में वे पृथ्वी अवलोकन उपग्रह समिति (CEOS) के अध्यक्ष रहे। उन्होंने मौसम उपग्रहों के समन्वय समूह (CGMS), विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) की उपग्रह प्रणाली पर विशेषज्ञ टीम (ETSAT) तथा भारत–अमेरिका संयुक्त कार्य समूह (नागरिक अंतरिक्ष सहयोग) में भी उल्लेखनीय योगदान दिया।

वे एरोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया के अध्यक्ष रह चुके हैं। वे भारतीय राष्ट्रीय अभियंत्रण अकादमी, नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज़ इंडिया, इंडियन सोसाइटी ऑफ रिमोट सेंसिंग, इंस्टीट्यूशन ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड टेलीकम्युनिकेशन्स इंजीनियर्स, इंडियन सोसाइटी ऑफ सिस्टम्स फॉर साइंस एंड इंजीनियरिंग, इंडियन मीटियोरोलॉजिकल सोसाइटी, इंडियन सोसाइटी ऑफ जियोमैटिक्स, गुजरात साइंस एकेडमी तथा आंध्र प्रदेश एकेडमी ऑफ साइंसेज़ के फेलो हैं। इसके अतिरिक्त, वे इंटरनेशनल एकेडमी ऑफ एस्ट्रोनॉटिक्स के निर्वाचित सदस्य हैं। भारत के 18 शैक्षणिक संस्थानों ने उन्हें ऑनोरिस कॉज़ा और डी.एससी. की मानद उपाधि से सम्मानित किया है।

उन्होंने राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक पत्रिकाओं, सम्मेलनों और संगोष्ठियों में 85 शोधपत्र सह-लेखक के रूप में प्रकाशित किए हैं।

उनके असाधारण योगदान के लिए भारत सरकार ने वर्ष 2014 में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया। इसके अतिरिक्त उन्हें अनेक अन्य प्रतिष्ठित पुरस्कार प्राप्त हुए, जिनमें राज्योत्सव पुरस्कार (2015), सर एम. विश्वेश्वरैया वरिष्ठ वैज्ञानिक राज्य पुरस्कार (2013, कर्नाटक सरकार), लाइफ़टाइम अचीवमेंट अवार्ड (कर्नाटक विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी अकादमी, 2016), आईआईएससी डिस्टिंग्विश्ड एलुम्नस अवार्ड (2015), गुजरात रत्न लाइफ़ फॉर इनोवेशन अवार्ड (2014), लाइफ़टाइम अचीवमेंट अवार्ड (आंध्र प्रदेश एकेडमी ऑफ साइंसेज़, 2016), भारत रत्न सर एम. विश्वेश्वरैया शताब्दी पुरस्कार (मैसूर विश्वविद्यालय, 2016), जी. एम. मोदी विज्ञान पुरस्कार (2016), एच. के. फिरोदिया विज्ञान रत्न पुरस्कार (2017), संतोकबा पुरस्कार (एस.आर.के.के.एफ., सूरत, 2018), तथा इसरो लाइफ़टाइम अचीवमेंट अवार्ड (2018) प्रमुख हैं। उन्हें 2018 में कैलिफ़ोर्निया इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के ग्रेजुएट एयरोस्पेस लेबोरेटरीज़ तथा एयरोस्पेस हिस्टोरिकल सोसाइटी द्वारा प्रदत्त प्रतिष्ठित इंटरनेशनल वॉन कार्मन विंग्स अवार्ड से सम्मानित किया गया। वर्ष 2019 में फ्रांस सरकार ने उन्हें अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मान शेवेलिए द ल’ऑर्द्र नेशनल द ला लीज़ियन द ऑनर (Chevalier de l'Ordre national de la Légion d'Honneur) से भी अलंकृत किया।

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